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#कर्नाटक मुक्त शैक्षिक संसाधन
 
#कर्नाटक मुक्त शैक्षिक संसाधन
 
===मुक्त शैक्षिक संसाधन ===
 
===मुक्त शैक्षिक संसाधन ===
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आपने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के बारे में सुना है, जो प्रासंगिक, समावेशी और अर्थपूर्ण शिक्षा की बात करती है। आपने शिक्षा पर अपनी इकाइयों में निर्मितिवादी मॉडलों के बारे में भी पढ़ा है। ये विचार सच हो सकें इसके लिए विद्यार्थियों (शिक्षकों) और शिक्षकों (शिक्षक-प्रशिक्षकों) के लिए संबंधित अधिगम संसाधन उपलब्ध होने चाहिए। ये संसाधन प्रासंगिक, आसानी से उपलब्ध होने वाले, शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार सुधारने और अनुकूल बनाने वाले होने चाहिए।
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फिलहाल, कई मामलों में, पाठ्यपुस्तक शिक्षकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन बनी हुई है, भले ही वह एकमात्र संसाधन न हो। यह संसाधन सीमित है, एक वर्ष के लिए बना होता है और धारणाओं के एक सेट को दर्शाता है। ये संसाधन मुख्य रूप से पाठ आधारित होते हैं, बहुत अधिक श्रव्य दृश्य संसाधन नहीं हैं और हो सकता है कि ये बहु अधिगम आवश्यकताओं पर बात न कर सकें। बाह्य संसाधन भी, यद्यपि उपलब्ध हैं, मुख्य रूप से नॉन-डिजिटल, मंहगे और स्थानीय आवश्यकताओं और संदर्भों के लिए आसानी से अनुकूलित नहीं किए जा सकते हैं। विकसित करने के महत्वपूर्ण और विविध परिप्रेक्ष्यों के लिए, बहु संसाधन उपलब्ध होने चाहिए और बहु संदर्भों से ज्ञान का निर्माण करना और उसे साझा करना संभव होना चाहिए। अन्यथा यह संभव है कि ज्ञान के केवल कुछ ही रूप महत्वपूर्ण रहेंगे और अन्य समाप्त हो जाएँगे। ज्ञान का आदान-प्रदान खुल कर हो, इसके लिए शैक्षिक संसाधन मुक्त रूप से उपलब्ध, साझा करने योग्य और स्थानीय संदर्भों तथा आवश्यकताओं के अनुरूप ढलने के लिए परिवर्तनशील होने चाहिए। आपने 'आईसीटी और समाज' वाले भाग में ज्ञान के निर्माण, साझा करने और वितरण में आईसीटी की भूमिका के बारे में भी पढ़ा है। मुक्त शैक्षिक संसाधन, जैसा कि ये कहलाते हैं, ऐसे ही अधिगम संसाधन हैं। ये मुक्त रूप से विविध प्रारूपों – पाठ, श्रव्य (ऑडियो), दृश्य (वीडियो) में उपलब्ध हैं, ताकि विविध अधिगम आवश्यकताएँ पूरी हो सकें।

०५:४१, २० सितम्बर २०१८ का अवतरण

विषय-वस्तु

  1. मुक्त शैक्षिक संसाधन
    1. मुक्त शैक्षिक संसाधन के प्रकार
    2. मुक्त शैक्षिक संसाधनों के सिद्धान्त
    3. लाइसेंस देना और कॉपीराइट
    4. मुक्त शैक्षिक संसाधन अपनाने को क्या सीमित करता है
  2. कर्नाटक मुक्त शैक्षिक संसाधन

मुक्त शैक्षिक संसाधन

आपने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के बारे में सुना है, जो प्रासंगिक, समावेशी और अर्थपूर्ण शिक्षा की बात करती है। आपने शिक्षा पर अपनी इकाइयों में निर्मितिवादी मॉडलों के बारे में भी पढ़ा है। ये विचार सच हो सकें इसके लिए विद्यार्थियों (शिक्षकों) और शिक्षकों (शिक्षक-प्रशिक्षकों) के लिए संबंधित अधिगम संसाधन उपलब्ध होने चाहिए। ये संसाधन प्रासंगिक, आसानी से उपलब्ध होने वाले, शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार सुधारने और अनुकूल बनाने वाले होने चाहिए। फिलहाल, कई मामलों में, पाठ्यपुस्तक शिक्षकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन बनी हुई है, भले ही वह एकमात्र संसाधन न हो। यह संसाधन सीमित है, एक वर्ष के लिए बना होता है और धारणाओं के एक सेट को दर्शाता है। ये संसाधन मुख्य रूप से पाठ आधारित होते हैं, बहुत अधिक श्रव्य दृश्य संसाधन नहीं हैं और हो सकता है कि ये बहु अधिगम आवश्यकताओं पर बात न कर सकें। बाह्य संसाधन भी, यद्यपि उपलब्ध हैं, मुख्य रूप से नॉन-डिजिटल, मंहगे और स्थानीय आवश्यकताओं और संदर्भों के लिए आसानी से अनुकूलित नहीं किए जा सकते हैं। विकसित करने के महत्वपूर्ण और विविध परिप्रेक्ष्यों के लिए, बहु संसाधन उपलब्ध होने चाहिए और बहु संदर्भों से ज्ञान का निर्माण करना और उसे साझा करना संभव होना चाहिए। अन्यथा यह संभव है कि ज्ञान के केवल कुछ ही रूप महत्वपूर्ण रहेंगे और अन्य समाप्त हो जाएँगे। ज्ञान का आदान-प्रदान खुल कर हो, इसके लिए शैक्षिक संसाधन मुक्त रूप से उपलब्ध, साझा करने योग्य और स्थानीय संदर्भों तथा आवश्यकताओं के अनुरूप ढलने के लिए परिवर्तनशील होने चाहिए। आपने 'आईसीटी और समाज' वाले भाग में ज्ञान के निर्माण, साझा करने और वितरण में आईसीटी की भूमिका के बारे में भी पढ़ा है। मुक्त शैक्षिक संसाधन, जैसा कि ये कहलाते हैं, ऐसे ही अधिगम संसाधन हैं। ये मुक्त रूप से विविध प्रारूपों – पाठ, श्रव्य (ऑडियो), दृश्य (वीडियो) में उपलब्ध हैं, ताकि विविध अधिगम आवश्यकताएँ पूरी हो सकें।